फेक और फेंक

6:49 PM, Posted by डा. निर्मल साहू, No Comment

 फेक और फेंक
इन दिनों दो शब्द भारी चल में हैं- एक है फेक तो दूसरा फेंक। पहला वाला अंगरेजी का शब्द है तो दूसरा हिंदी का। ये दोनों सोशल मीडिया से दिन ब दिन ऊर्जा ग्रहण करते जा रहे हैं। कोई फेक न्यूज दे रहा है तो कोई फेंक रहा है।
फेंकना तो वैसे क्रिया है पर जब अतिशय प्रतिक्रिया में रुपांतरित हो जाता है तो लोग कहते हैं-क्यों फेंक रहा है, ...और कितना फेंकेगा। इस फेंकना में दरअसल फेक भी शामिल रहता है। जो बरसों से चला आ रहा है।  दरबारी कवि राजा की फेंकते तो थे..इसमें खालिस फेक कितना था यह तो इतिहास का हिस्सा बन गया। दोनों गड्मड्ड हो गया। अब फेंकुओं को इससे क्या कि वह कैसा फेक, इस आधुनिक यंत्र (मोबाइल फोन) पर चलायमान कर रहे हैं। इधर जन्मा उधर न जाने कितने कोस में क्रंदन शुरु कर देता है।
फेंको, फेंकुओ..तुम हो महान
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