बच्चे -1
4:09 PM, Posted by डा. निर्मल साहू, One Comment
भ्रष्ट अधिकारी बनना चाहती हैं चीनी छात्रा पेइचिंग। स्कूल जाने की शुरूआत करने पर बच्चे भले ही डॉक्टर-इंजीनियर बनने की इच्छा जाहिर करते हों, लेकिन चीन में एक छात्रा स्कूल के पहले ही दिन 'भ्रष्ट अधिकारीÓ बनने का लक्ष्य जाहिर कर सुर्खियों में छाई हुई है। इस बच्ची ने बाद में एक टीवी साक्षात्कार में भी अपने लक्ष्य को दोहराया। इसके बाद चीन में ब्लॉगरों में बहस छिड़ गई है। कई लोगों ने इस मुद्दे पर लिखा है कि उसकी टिप्पणी 'समाज की सच्चाईÓ को बयां करती है। छात्रा ने कहा, 'बड़ी होकर मैं एक अधिकारी बनना चाहती हूं।Ó छात्रा की पहचान को गुप्त रखा गया है। जब छात्रा से यह पूछा गया कि वह किस तरह की अधिकारी बनना पसंद करेगी तो उसका जवाब था, 'मैं एक 'भ्रष्ट अधिकारीÓ बनना चाहती हूं...क्योंकि उसके पास बहुत कुछ होता है।Ó स्कूल को विस्फोट से उड़ाना चाहते थे किशोर-- लंदन। ब्रिटेन में दो किशोरों पर कोलंबिया के एक विघालय में हुई सामूहिक नरसंहार की घटना से गलत प्रेरणा पाकर अपने विघालय को बम से उड़ाने की योजना बनाने का आरोप लगा है। इन किशोरों ने विस्फोटक सामग्री बनाते हुए उसकी मोबाइल क्लिप भी बनाई। मैनचेस्टर क्राउन अदालत की ज्यूरी को दिखाए गए फुटेज में 18 और 16 वर्षीय दो किशोरों को एक पाइप बम में विस्फोट करते दिखाया गया है। एक अन्य फुटेज में दोनों को कथित तौर पर मोलोतोव कॉकटेल और पटाखों का प्रयोग करते हुए दिखाया गया है। अभियोजक ने कहा कि दोनों कोलंबिया के विघालय में 12 छात्रों को मारकर आत्महत्या करने वाले दो छात्रों को आदर्श मानते हैं। ये तो हुई विदेश की दो घटनाएं, पर जरा आप भी अपने घर और आसपास को टटोलकर देखें।मेरे एक मित्र का बेटा जो अभी पहली कक्षा में पढ़ रहा है कहता है कि फलां महल्ले का (जिस मोहल्ले में रहता है) दादा बनेगा। उससे सब डरेंगे। इसी तरह मेरी 3 साल की बेटी कहती है पापा मेरे लिए बंदूक ला देना। मंैने पूछा क्यों- उसका जवाब था- तब मैं आपको मार डालूंगी। आप किसको बेटा बोलोगे? जब मैने उससे पूछा आपको बंदूक से मारते हैं किसने बताया तो उसका जवाब था -भैय्या ने। भैय्या अपनी बंदूक से सबको मार डालता है। खैर वह खिलौने की बात कर रही थी लेकिन क्या यह हिंसा के प्रति एक अनजाना आकर्षण नहीं है? मेरा भांजाजिस समय रामायण सिरीयल चल रहा था अपनी पैंट में जूटे की रस्सी को लपेटकर आग लगा ली और चिल्लाने लगा कि मैं हनुमान हूं लंका को आग लगा दूंगा। हमने तुरंत वह रस्सी निकाली क्योकि उस बाल मन को यहनहीं पता था कि आग पहले उसके जलाएगी। घर में कोई नहीं होता और कहीं वे किसी गद्दे में जाकर दुबक जाते तो क्या हाल हुआ होता आप कल्पना कर सकते हैं। छोटी-छोटी चीजें हैं जिसे हमें ध्यान देना होगा। बच्चों को सिखाने होगी छोटी-छोटी चीजें। क्योंकि वे आप-हम से ही देखकर सुनकर सीखते हैं। जब बच्चा कहता है पापा मुझे पेंसिल और स्केल चाहिए तो आप अनायास कह उठते हैं - ठीक है कल हम आपके लिए ले आएंगे ऑफिस से । बच्चे की कौतूहलता यहीं से शुरू हो जाती है। उसके मन में यह बैठ जाता है कि ऑफिस ऐसी जगह है जहां सब कुछ मिल जाता है, जहां से सब कुछ लाया जा सकता है। जब आप ऑफिस न जाने के लिए झूठे बहाने बनाते हैं तो उसके गवाह ये बच्चे होते हैं और ये स्कूल नजाने के लिए वही बहाना आपके सामने रखते हैं जो कभी आपने बॉस को फोन करते या आवेदन लिखते बनाए थे, और इसे बच्चे जान समझ रहे थे।आगे और बातें होगी आज इतना ही..