Thursday, October 23, 2008

चिंतन


चिंतन

बीज ने छोड़ा केंचुल
तन गया बनकर अंकुर
मानो दीर्घतपी सा
एक पैरों पर खड़ा
जीवन और मृत्यु
पर
कर रहा चिंतन

2 comments:

  1. मान गए आपके विचारों के अभिव्यक्तिकरण की योग्यता को, अति उत्तम

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