चिंतन
बीज ने छोड़ा केंचुल
तन गया बनकर अंकुर
मानो दीर्घतपी सा
एक पैरों पर खड़ा
जीवन और मृत्यु
पर
कर रहा चिंतन
4:18 PM, Posted by डा. निर्मल साहू, 2 Comments
चिंतन
बीज ने छोड़ा केंचुल
तन गया बनकर अंकुर
मानो दीर्घतपी सा
एक पैरों पर खड़ा
जीवन और मृत्यु
पर
कर रहा चिंतन
मान गए आपके विचारों के अभिव्यक्तिकरण की योग्यता को, अति उत्तम
Bahut Khoob