कविता
4:09 PM, Posted by डा. निर्मल साहू, No Comment
कविता
आदमी के जिंदापन
का सबूत
अंधेरे सूनेपन में
उजली सी धूप
उद्दाम यौवन की
मिष्ठातिक्त स्वाद
बूढ़े मन की
गदराई याद
नहीं केवल
शब्द
अर्थों के पार
अधरों के तट
बहती बयार..
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