अंधविश्वास
सुबह
हर रोज टिफिन कैरियर को
साइकिल में रखकर
निहारती रहती है
तब तक
जब तक आंखों से
ओझल न हो जाए
उसका साइकिल सवार।
शाम
हर रोज
तुलसी बिरवे पर
धूप बाती दे
माथा टेककर
ताका करती है
अनिश्चिंत आशंका से
और घंटी की टिन-टिन
लौटा लाते हैं मुस्कान,
छिन लेती है लपककर
सुबह का टिफिन कैरियर।
उसका माथा टेकन
धूप-बाती देना
भले ही अंधविश्वास कहें आप हम
पर प्रेम का धरातल
घोर गहन अंधविश्वास पर टिका है
शायद प्रेम
इसलिए अंधा होता है।