Sunday, October 12, 2008

करील

करील

करील का खट्टापन
उसे बेचती युवती से कम नहीं
तिस पर लावण्य का भार,
लपलपाती आंखे फारेस्टर की
कच्चा चबा जाने की
दु:साहसिकता लिए
भरे बाजार
बेखौफ घूमते
शाम की प्रतीक्षा में,
और शाम हुई एक हत्या
उस भ्रूण की तरह
जो बांस बनने से पहले
करील की शक्ल
में बाजार में थी।
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