6:07 PM, Posted by डा. निर्मल साहू, No Comment




सिरीमान गांधी बबा,
पांव परथों
मनके मैं अलकरहा वल्द टपरहा, जाति-भट्टी, धरम-ठर्रा, मुकाम- रजबंधा, रायपुर छत्तीसगढ़ के रहैय्या हावौं। एदे की आज तोला सबो सुरता कर हावंय तै पाय के मंय घलो एक अध्दी आसूं बोहावत तोला कोरी-कोरी परनाम करत हावौं।
हमर बड़ बाग रहिस की तोर असन बबा पायन, हामर देश मां तोर लाठी चश्मा अप लिंगोटी के डर मा गोरा मन गट्टी ला खाली कर दीन। तोर बताय रद्दा ला हमन देखत हावन अउ नवा तरीका ले चलेके कोसिस करत हवन। तोर सपना रिहिस की गांव-गांव मं गोरस के नदी बोहावे फेर आज हमन देखेन की एला पी के सबो बीमार परत हवैं, दूध के धंदा ला सबो गारी देवत हवैं। पानी नई मिलाय ले घलो पानी मिलाथस कहिके चाबे कस गोठियाथें तै पायके हमन गांव-गांव के गली-गली मं दारू के नरुवा बहावत के सोचे हवन। देस के सबो हालचाल ला देखके मंय एकरे खातिर देसी शारबा भट्ठी के ठेका लेवत हावौं। तोर किरपा रही, तो संझाहा अऊ रतिहा बाड़ही।
बुरा मत सुनो, बुरा मत देखो, बुरा मत कहो, तोर बेंदरा मन के ये वचन ला मन मं कभू नई बुलावौं। परानजाय फेर बचना न जाय कस धरे हावाैंं।
पर साल ठेका मं बनेच पाइयदा होइस ठार्रा ला पीके बनेच मन अंधवा, भैइरा अउ कोंदा होगिन। तोर बेंदरा के वचना मन ला मोर भट्ठी ह पूरा कर दीस। सरकार के परिवार नियोजन पोरग्राम मंय पूरा कर देंव। एकर सेती मोला आसीर्वाद दे ददा कि अवैया साल मं चार ठन भट्टी के ठो मिलेव।
तोर कहना रहिस मनखे ला सदा सत कहना चाही। झूठ बचना नई बोलना चाही। बबा, दारू ला पीके मनखे झूठ नई गोठियाता तोर सिध्दांत के मंय पक्का चलवैया हावौं, ऐकरे खातिर मंय अपन धंधा मं एकर अब्बड़ धियान राखत हावौं।
गांधी बबा, तोर बेंदारा के नवा चेला मन कभू-कभू मोला अब्बड़ परेसान करथें। फेर दू-चार अध्दी मसाला दे देंथंव तो पी खा के सुत जाथें। ओ मन बाुर नई देखें, नई सुने और नइ केहें। तोर टोपी अऊ खादी ला पहिन के कथे बेटा अलकरहा टोपी के मतलब आय टोंटी (घेंच) के आवत तक ले पी । धन्य मोर बड़े बाप तोर दुनिया देखे के चश्मा बड़ अकन हावय।
बबा तंय गोली खाके मजा ले सरग में गोड़ रगड़ावत होबे। मंय इहां तोर चेला मन के रोज गाली खावत तीनों बेंदरा के गोड़ मन मं नाक रगड़त हावौं।
तोर अंधवा बेंदरा ह पुलिस बनगे, मारपीट, दंगा पसाद चोरी ये सब ला नई देख सके। तोर भैंइरा बेंदरा ह अफसर होगे। मनखे भूख ले मरगे,टेटकू के टूरी ला गुंडा मन उठा के लेगीन। भट्टठी मं आइस त कथे मंय बुरा चीज देख सकथों और कहे सकथों फेर सुने नई सकौं। साले दारू में पानी मिलाते हो, महुआ वाला निकाल। चार ठन बोतल गठागठ ढार दीस अउ जब मातगे त कथे- कका अलकरहा , अइसनअपन भतीजा मन के धियान रखे रबे तो कोनो माइ के लाल परेसान नई कर सके।
तोर कोंदा बेंदरा ह आजकल मंतरी होगे हे। दिन रात ये कुर्सी ले उ कुर्सी नाचत फुड़ी खेलत रथे। कभू कराब गोठ नई गोठियावे। एख दिन कथे अबे टपरहा के औलाद अकेत नरियाथाें फेर कइसने कोनों ला फरक नई पड़े रे। तोर ये बंदेरा हा महुआ के ला नई पिये अंगूर के ला मंगाथे। छेरी के गोरस नई पिये छेरी ला का जाथे।
जै गांधी बबा, तोर बंदरा अऊ चेला मन के कारोबार अब्बड़ जोर ले चलत हावय। मोला घेरी-बेरी अलकरहा ददा, कका, बबा कहत रहिथें।
ऐ बबा सुन ले, तोर जमाना मं टूरा मन तोर ले सीख के तोर बर अपन घर-बार, डौकी -लइका जमीन जायददा सबो ला छोड़ देवें। ये परंपरा ला मंय राखे हांववव। मोर बट्टी मं आके सबो एके परानी हो जाथें। मोला आशीस दे बबा कि मोला घलो टाटा कस भारत रतन मिल जाए। मंय तोर कोरी-कोरी बंदना कत हांवव। भारत रतन मिल जाही त मं देस के घरोघर में दारू बनाए के कारखाना कोल दिहूं जेकर ले कोनो बाुर मत देखे, मत सुने अउ मत कहे।
बबा एदे मोर कान मं बात आवत हे कि मोर भट्टी ला टारे जाही। सरपंच ह गांव के कतको लोग मन के संग आए रहिस के ऐ भट्टी ह अवैध आय। गांव मं दंगा फसाद एकरे सेती होवत हे। अपन भट्टी के कसम खावक कहिथों बबा कि ये सरंपच हर लबरा आय। कतक दिन तक ऐला फोकट में दारू देतें। एक दिन तनातनी होगे ते बस ये खेल होगे। गांव के लइका पिटका महतारी मन ला धरके दिन भर नरियावत रहिस भट्टी हाटाओ, गांव बचाओ।
ऐकर फिकर वैइसे मोला नइये काबर पटवारी पेटूराम ह कहिस हे अरे बेफिकर र। मोर कलम के ताकत ले कोनो पार नई पांय हें। कलेक्टर करा घलो मोर कलम के काट नई ये। जानत तो हावस बेटा मोला का चाही- दू रोटी दू बोटी थोरकुन गंगाजल। सबो बुता एकरे बाद भकाभक निपट जाथे। ये बेंदरा मन के लइका पिचका मन ला घलो दू रोटी दू बोटी अउ थाकुन गंगाजल दे देबे अउ फेर ऐस कर।
अऊ कतक गोठियाबों बबा,तोर सुते के टैम होगे होही। मोर अरजी ला पढ़ लेबे बबा । सबो सत-सत गोठियाय हावौं। लबारी मारे होहूं त मोर ठेका ले खारिज करवा देबे। ठर्रा, मसाला ला छू के कसम खावत हावौं तोर बेंदरा मन ला कोनो किसिम के तकलीफ होय नही गों। तोर हर बरसी मं मसाला, ठर्रा फोकट में बांटथों अऊ बांटते रहिहों।

-तोरेच चेला
अलकरहा ठर्रावाला
रजबंधा
तारीख 2 अक्टूबर
दिन- सनडे



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